हजारीबाग में मंगलवार को पकड़े गए फर्जी एसीबी गिरोह का मामला गुरुवार को कोर्ट परिसर में बड़ा विवाद बन गया. पदमा और कटकमसांडी पुलिस ने संयुक्त अभियान में नदुवीर राम, महेश कुमार पासवान, अयोध्या नारायण पासवान और धनेश्वर राम को गिरफ्तार किया था. आरोप है कि ये लोग एसीबी अधिकारी बनकर मेडिकल दुकानों से ठगी करते थे.

लेकिन कोर्ट में पेशी के दौरान कहानी पलट गई. आरोपियों में से महेश पासवान पेशे से अधिवक्ता निकले. उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन्हें बेरहमी से पीटा और हथकड़ी पहनाकर कोर्ट लाया. यह सुनते ही अधिवक्ता भड़क उठे और कोर्ट परिसर में मौजूद पुलिसकर्मी के साथ हाथापाई हुई. लंबे समय तक माहौल तनावपूर्ण बना रहा.

अधिवक्ताओं का कहना है कि पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाई. नियम साफ है कि दोष सिद्ध होने से पहले किसी अधिवक्ता पर हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती. उन्होंने कहा कि पुलिस ने वकील की गरिमा को ठेस पहुंचाई. अधिवक्ता संघ ने जिला न्यायाधीश से संबंधित थाना प्रभारी पर कार्रवाई की मांग की.

वहीं पुलिस का तर्क है कि महेश पासवान का वकील होना उन्हें अपराध से मुक्त नहीं करता. चारों पर गंभीर आरोप हैं और वे पहले भी कटकमसांडी के एक मेडिकल स्टोर में धोखाधड़ी कर चुके हैं.

हजारीबाग अधिवक्ता संघ अध्यक्ष राजकुमार राजू ने कहा कि पुलिस और वकील दोनों को कानून का पालन करना चाहिए. किसी के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. पुलिस ने बताया कि ग्रामीणों ने आरोपितों को पकड़ा था, और उन्होंने एसीबी ट्रस्ट के लिए काम किया.

अदालत ने मामले को गंभीर मानते हुए महेश पासवान का बयान दर्ज किया है. अब टकराव इस बात पर है कि क्या अपराध के आरोपित को उसके पेशे की गरिमा बचाएगी या कानून का डंडा चलेगा.